Website kya hai? कैसे काम करता है? वेबसाइट के प्रकार

Information सदिओ से इनसानी सभ्यता के लिए एक जरुरी हिस्सा रहा है। एक समय था जब लोग किसी भी information के लिए सिफ॔ किताब याफिर अखबारो का सहारा लिया करता था।लेकिन बदलते समय और internet कि आसान पोहच के कारण जानकारी जुटाना अब आसान बन चुका है।

Internet पर आज जानकारीओ का अम्भार है। ज्यादातर लोग आज आपनी जानकारीया जुटाने के लिए online या internet को प्राथमिकता देता है, जैसे कि आप, Website kya hai पर जानकारी प्राप्त करने के लिए इसी internet की मदद ले रहै है। लेकिन, इन सब के विच क्या आपने कभी सोचा हे कि internet पर इतनी जानकारीया कैसे और कहा से आता है? दरसल ,आप आपनी जानकारीओ को जहा से प्राप्त करते हे वे सभी एक वेबसाइट है।

तो, आज इस article के हम आपको विस्तार से बताएंगे कि आखिर ये वेबसाइट क्या है? कैसे काम करता है? और कैसे ,आप भी आपना खुद का एक वेबसाइट बना सकते है। तो इन सभी चिजो को विस्तार से जानने के लिए हमारे इस article के साथ बने रहै।

Website kya hai?

तो, वेबसाइट कि परिभाषा क्या है? दरसल, यह कई वेब पेजों का एक संग्रहलय है, और वे वेब पेज डिजिटल फरमेट यानि मशिनि भाषा HTML (Hypertext Markup Language) के प्रारुप मे होता हैं जिसे एक PC (personal computer) या smart computer devices (smartphone) के द्बारा ही पडा या देखा जा सकता है।

इन पेजो को दुनिया भर मे उपलब्ध कराने के लिए, इसे चौबीसों घंटे इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटर द्बारा संग्रहीत या होस्ट किया जाता हे,और जिसै एक वेब सर्वर कहा जाता है।

website kya hai?

वे वेब पेजे एक हाइपरलिंक और हाइपरटेक्स्ट के द्बारा एक दुसरे से जुड़े हुऐ होते हैं। किसी वेबसाइट पर मौजुद दस्तावेज़े और फ़ाइलें चित्र, वीडियो या इनके जैसे कई अन्य डिजिटल फरमेट मे भी हो सकता हैं।

तो , अब तक आपने Website kya hai? इसे अच्छी तरह से जान लिया, चलिए आगे जान लेते हे कि यह कैसे काम करता है? इसकी संरचना कैसा होता है? और वे कितने प्रकार के होते है?

यह कैसे काम करता है?

किसी वेबसाइट को visit करना आसान होता है, लेकिन पर्दे के पीछे बहुत सी ऐसी चीजें चल रहा होता हैं जिसे हम देख नही पाते। तो,आइए एक नजर इस पर डाल लेते हैं कि आखिर यह कीस तरह काम करता है?

दरसल, जब भी आप Google या किसी और Search Engine पर कोई अनुरोध दर्ज करते हैं तो ये अनुरोध सबसे पहले इंटरनेट पर स्हित एक विषेश कंप्यूटर के पास जाता है जिसे डोमेन नाम सर्वर या संक्षेप में DNS कहा जाता है।

फिर उन सभी अनुरोधों को CDN (Content Delivery Network) के माध्यम से client तक पौहचाया जाता है। डोमेन नाम सर्वर (DNS) के पास उस मशीन के नाम और उसकी आईपी पता (Users Unique IP) मौजुद होता हैं, जिसके जरिए ये इन्टरनेट उपयोगकर्ताओं कि पहचान करते है।

अब जब आप किसी साईट पर मौजुद कोई पेज देखना चाहते हैं, तो आपको अपने ब्राउज़र का उपयोग करके search engine पर पेज के लिए अनुरोध करना होता है और तब ब्राउज़र आपके द्वारा किए गए अनुरोधो के आधार पर एक डोमेन नाम सर्वर से आपके आईपी पते में अनुवाद करने के लिए कहता है।

हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल या संक्षेप में HTTP मानक का उपयोग करके ब्राउज़र उस सर्वर को आपके इच्छित पृष्ठ के लिए एक अनुरोध भेजता है।

सर्वर लगातार इंटरनेट से जुड़े होने के कारण , हमेशा visitors कि पेजो को परोसने के लिए तैयार रहता। अब जब उसे यह अनुरोध प्राप्त होता है, तो यह अनुरोधित दस्तावेज़ की तलाश मे तुरन्त जुट जाता है और इसे ढूंढ कर वेब ब्राउज़र को वापस कर देता है।और ये सारा काम कुछ ही मिलि सेकन्ड के अन्दर होता है।

वेबसाइट की संरचना?

इसकी संरचना को संरचनात्मक रूप में परिभाषित किया जाता है जो सामग्री तक सहज पहुंच प्रदान कर सके। किसी भी वेबसाइट की संरचना एक सही और व्यवस्थित नेविगेशन प्रक्रिया के अनकुल होना वेहद जरुरी है।किसी भी होमपेज को इस तरह से तैयार किया जाता हैं जोकि इसके भीतर कि अन्य श्रेणियों और सामग्रीओ को आसानी से जुड़ा जा सके।

किसी भी साइट के मुखपृष्ठ पुरी साइट कि प्रतिनिधित्व करता है। आसान शद्बो मे कहा जाए तो, होमपेज एक तरह का “हब” होता है, जहा से साइट कि सभी अन्य पेजों को एक्सेस किया जा सके। इसके अलाबा एक आंतरिक पेज जिससे कई अन्य विषयों की एक विशिष्ट श्रेणी के पेज एक सुसंगत तरीके से जुड़ा होया होता हैं, जौकि “पैरेंट पेज” के नाम से जाना जाता है।

प्रत्येक पैरेंट पेज दरसल, HTML दस्तावेज़ो का एक समुह है, और वे सभी हाइपरलिंक के माध्यम से जुड़ा हुया होता हैं ताकि नेविगेट करने में आसानी रहै।यह नेविगेशन बार प्रत्येक पृष्ठ पर प्रदर्शित होता है, और उपयोगकर्ता को पुरी साइट में तेज़ी से गतिविधि की अनुमति देता है।इसके अतिरिक्क अधिकांश वेबसाइटों के एक bottom भाग होता है, जिसे footer part भी कहा जता है जो प्रत्येक पृष्ठ के नीचे पाया जाता है। आमतौर पर footer part में अन्य बाहरी संसाधनों की लिंक होता हैं, साथ ही अन्य महत्वपूर्ण जानकारीया,

जैसेकि disclaimers पैज लिंक, सेवा और शर्तों के पैज लिंक, गोपनीयता नीति और संपर्क पृष्ठ, साइट के मालिक एबम कंपनी का भौतिक पता शामिल होता है।

वेबसाइटें कितने प्रकार के होते है?

जैसा कि हम इस लेख के ऊपरी भाग में जान चुके, कि जब हम किसी search bar में कोई URL टाइप करते हैं, तो ब्राउज़र वेब सर्वर से उस पैज के लिए अनुरोध करता है और वेब सर्वर उस वेब पेज को content के साथ ब्राउज़र को वापस कर देता है।

लेकिन, वापस करने कि यह प्रक्रिया साइट के प्रकारो के अनुसार कुछ अलग हो सकता है। दरसल, यह निर्भर करता है कि, यह किस प्रकार की साइट है।हलांकी अधिकांश विज़िटर को यह पता ही नहीं होता है कि वे किस प्रकार की साइट को विज़िट कर रहे हैं। दरअसल, वेबसाइट दो तरह की होती है एक स्टैटिक और दूसरी डायनामिक।

  • Static Website:- इसमे वेब पेज सर्वर द्वारा लौटाए जाते हैं जोकि एक पूर्वनिर्मित फाइल होत हैं और इसे HTML, CSS या जावास्क्रिप्ट जैसी Software भाषाओं का उपयोग करके बनाए जाता हैं, जिसमे उपयोगकर्ता के चाहत के अनुसार सर्वर पर content की कोई प्रोसेसिंग नहीं होता है। एक स्टेटिक वेबसाइट में वेब पेज बिना किसी बदलाव के सर्वर द्वारा वापस किया जाता हैं। इसलिए, यह डायनामिक वेबसाइट की तुलना में अधिक तेज़ी से लौड होता हैं।
  • Dynamic Website:- दुसरी ओर एक डायनेमिक के मामले में, वेब पेज सर्वर द्वारा लौटाए जाने के दौरान डेटा संसाधित होता हैं और जिसका मतलब है कि वे स्टेटिक वेब पैजो कि तरह प्रीबिल्ट नहीं होते हैं, लेकिन वे सर्वर-साइड की मदद से उपयोगकर्ता की मांग के अनुसार रनटाइम के दौरान डेटाओ मे बदलाब किए जाते हैं। और इसके लिए कई स्क्रिप्टिंग भाषाओ, जैसे कि PHP, Node.js, ASP.NET और सर्वर द्वारा कई अन्य समर्थित software भाषाओं का उपियोग किया जाता है। इसलिए, वे एक Static Site की तुलना में काफि धीमा होता हैं।ये CMS (Content Management System) जैसे वर्डप्रेस, जूमला, ड्रुपल या और भी कई अन्य प्लेटफॉमो पर बनाए जाते हैं।

विभिन्न प्रकार की वेबसाइट

उपर बताए गए इन प्रकारो के अतिरिक्त भी इसके ऒर कई सारे विविधता होते हैं, जिनमें शैक्षिक , समाचार , फ़ोरम , सोशल मीडिया साइट, ई-कॉमर्स जैसे और भी कई तरह के वेबसाइट शामिल हैं।

इसके अलाबा, किसी भी वेबसाइट को उसकी शीर्ष-स्तरीय डोमेन एक्सटेंशन के द्वारा भी वर्गीकृत किया जा सकता हैं। जैसेकि:-किसी सरकारी वेबसाइटें .gov डोमेन एक्सटेंशन, शैक्षणिक संस्थानों की वेबसाइट .edu डोमेन एक्सटेंशन, गैर-लाभकारी संगठनों की वेबसाइटो को .org डोमेन एक्सटेंशन, वाणिज्यिक वेबसाइटे .com डोमेन एक्सटेंशन और सूचना साइटे .info डोमेन एक्सटेंशन के रुप मे पहचाना जाता है।

वेबसाइट के Basic Components

जैसेकि अब तक आपने जाना कि, वेबसाइट क्या है? साथ ही ये भी जान चुके हैं कि वे कई वेब पेजों का एक संग्रह है जो एक वेब सर्वर पर होस्ट किए जाते हैं। हर साइट का आपना एक बुनियादी संरचना होती हे और उसे बनाने के लिए कुछ बुनियादी घटक होते हे जो इसे संपूर्णता प्रदान करता है।यह बुनियादी घटक नीचे दिए गए कुछ इस प्रकार हैं: –

  • Web hosting:- वेब होस्टिंग वह स्थान है जहां वेबसाइट और उसकी ई-फाइलें भौतिक रूप से संग्रहीत होता हैं। वेबहोस्ट या वेबसर्वर कई फाइलों का एक समूह है जो उपयोगकर्ता के कंप्यूटरों पर तब प्रेषित किया जाता है जब वे उस वेबसाइट का पता ढूंढता हैं जिन्है URL कहा जाता है।
  • Web address:- वेब addres दरसल एक यूआरएल होता है। जब कोई उपयोगकर्ता कोई साइट खोलता है तो उसे वेब ब्राउज़र में उस साइट का पता यानि URL डालने की आवश्यकता होती है, फिर वेबसर्वर द्वारा उस वेबसाइट को उपयोगकर्ता तक पहुँचाया जाता है।
  • Homepage:- होम पेज किसी भी साइट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यह किसी साइट का पहला और फ्रंटेज वेबपेज होता है जो किसी विज़िटर द्वारा सबसे पहले देखा जाता है। होम पेज दर्शकों को साइट के बाकी वेबपेजों पर ले जाता है।
  • Web design:- वेब डिज़ाइन उस वेबसाइट को पूर्ण रूप और अनुभव प्रदान करता है जो उपयोगकर्ता को नेविगेशन मेनू, ग्राफिक्स, लेआउट आदि जैसे तत्वों के उचित एकीकरण में मदद करता है।
  • Web content:- यह किसी भी साइट की आत्मा है जो इसे इन्टरनेट पर लाइव रहने और इंटरनेट पर जीवित रहने में मदद करता है। किसी भी वेब पेज पर अच्छी content का होना हमेशा आपकी साइट को visitors के लिए अधिक प्रभावी और आकर्षक बनाता है।
  • Web navigation:- यह एक वेबसाइट की संरचना और पृष्ठों को क्रम प्रदान करता है।

साइट का नाम कैसे रखें?

आपनी साइट के लिए एक नाम चुनते समय आपको यह ध्यान मे रखना चाहिए कि डोमेन नाम आपके वेबसाइट के नाम से मेल खाता हो, क्योंकि डोमेन नाम आपके साइट और ब्रांड का प्रतिनिधित्व करता है और यह SEO के लिए भी आवश्यक है। इसलिए, एक वेबसाइट के मालिक के तौर पर सही डोमेन नाम का चुनाब एक बड़ा निर्णय होता हैं।

एक अप्रासंगिक डोमेन नाम आपके ब्यापसाय पर नकारात्मक प्रभाव ढाल सकता है और आपकी ब्रांड कि प्रतिष्ठा को भी प्रभावित कर सकता है। तो, अब सवाल यह है कि एक सही डोमेन नाम चुनने की सबसे अच्छी रणनीति क्या है?

यहां इसके बारे मे आपके लिए कुछ बेहतरीन टिप्स दी गई हैं जिनका पालन आप करके आप अपने लिए एक सही डोमेन नाम का चयन करते समय इसका उपयोग कर सकते हैं।

  • एक शीर्ष स्तरीय डोमेन एक्सटेंशन चुनने का प्रयास करें।
  • वह डोमेन चुनें जो आपके व्यवसाय के लक्षित खोजशब्दों का अनुसरण करता हो।
  • सुनिश्चित करें कि आपका डोमेन दर्शकों के लिए वर्तनी और उच्चारण मे आसान हो।
  • आपना डोमेन नाम चुनते समय हाइफ़न और डबल लेटर्स से बचने की कोशिश करें।
  • अपने डोमेन नाम को छोटा रखने की कोशिश करें ताकि दर्शक आपकी वेबसाइट पर वापस लौटने के लिए इस नाम को आसानी से याद कर सकें।
  • नाम ऐसा चुनें, जो रजिस्टर करने के लिए उपलब्ध हो।

खैर, कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है कि एक उपयुक्त साइट नाम या डोमेन को मैन्युअली खोजने हुये आप काफी निराश और परेसान हो जाए। ऐसी स्थिति में आप किसी Domain Name Generator tool का भी मदद ले सकते हैं जो आपको आपकी व्यावसायिक आवश्यकताओं के अनुसार कुछ विचारोत्तेजक डोमेन नाम सुझाएगा। हालांकि, एक अद्वितीय नाम का चयन करना भी एक कला है और धैर्य के साथ साइट का नाम चुनना अच्छा रहता है।

वेबसाइट के क्या लाभ हैं?

तो,अब तक आपने जाना कि एक सही डोमेन नेम कैसे च्न सकते है। अब बात आती है कि आखिर एक वेब साइट से हमे फाएदा किया मिलने बाला है।तो ,चलिए एक वेबसाइस होने के आपको क्यी-क्या फाएदे हो सकते है इस पर भी एक नजर डाल लेते है। व्यापार चाहे छोटा हो या बड़ा , स्टार्टअप हो या कोई बड़ा निगम हर के लिए वेबसाइट का होना बहुत सारे लाभ दिला सकता हैं। इसे बनाना आज इतना आसान है, कि किसी के पास एक वेब साइट का न होने का कोई कारण नहीं है, भले ही आपका व्यवसाय शुरुबाती दौड़ से गुझर रहा हो।

कई संभावित ग्राहक तब तक आपको गंभीरता से नहीं लेंगे जब तक न आपके पास कोई अनलाइन उपस्तिती हो। आसान शद्बो मे कहा जााए तो, एक व्यापारी के तौर पर आपके पास कोइ स्थापित अनलाइन उपस्तिती का न होना लगभग एक गैर-जिम्मेदाराना रबाया जैसा है।इसके होने का सबसे बड़ा फाएदा यह है कि यह लोगों के लिए आपको ऑनलाइन ढूंढने और आपसे आसानी से संपर्क बनाने में मदद मिलता है। एक प्रभावी और सम्मोहक साइट होने से आपकी उत्पादों कि बिक्री मे भी बडोत्रि हो सकता है।

इसके होने के कुछ चुनिन्दा कारोनो के बारे यहा उल्लेख किया गया है।

  • इसे कम बजट मे बनाया जा सकता है।
  • ऑनलाइन पर 24 घंटे की पहुंच के कारण व्यापक दर्शक वर्ग तक पहुंच पाते हैं।
  • उपभोक्ताओं के बीच एक व्यापक ब्रांड दृश्यता और मान्यता प्राप्त होता है।
  • यह ऑनलाइन प्रचारो को आसान बनाता है।
  • इसके द्बारा नए नए व्यवसाय को खोजने मदद मिलता है।
  • यह आपको आपके उद्योग में विशेषज्ञ बना सकता है।
  • यह आपके ग्राहकों के बीच आपकी व्यावसायिक प्रोफ़ाइल को और अधिक स्पष्टता के साथ दिखा सकता है।
  • यह आपके व्यवसाय को बढ़ा सकता है क्योंकि यह चौबीसों घंटे ऑनलाइन रहता है।
  • यह आपकी विज्ञापन लागत को बचा सकता है।

वेबसाइट कैसे वनाए?

अब आपके पास एक स्पष्ट अवधारणा है कि वेबसाइट क्या है? साथ ही इसके आर्किटेक्चर जैसे वेबपेज, होम सेक्शन, वेबसाइट इसके महत्वपूर्ण तत्व, और होस्टिंग या सर्वर आदि को भी अच्छी तरह से समझ चुके है। अब, बस आपको केवल इसे बनाने के लिए एक पहल करने की आवश्यकता है। इंटरनेट पर इसे लाइव करने के लिए यहां बुनियादी आवश्यकताएं दी गई हैं: –

  1. एक विश्वसनीय वेब होस्टिंग सेवा। (हम Hostinger वेब होस्टिंग सेवा की सलाह देते हैं)
  2. एक डोमेन नाम एक्सटेंशन जो आपके लक्ष्य को पूरा कर सके।
  3. एक अच्छा सीएमएस (सामग्री प्रबंधन प्रणाली) हम WordPress CMS की सलाह देते हैं।

ओह! वस इतना ही,

इसे कैसे वनाए? इस बारे step-by-step विस्तार से जानना चाहते है तो नीचे दिए गए इस article को जरुर पडे।

Conclusion

इस लेख में हम Website kya hai? और यह कैसे काम करता है, इस पर आपको एक अबवलोकन प्रदान कि हैं। साथ ही, इसे बनाने के लिए आवश्यक सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर घटकों के बारे में चर्चा और व्याख्या कि है। हमने आपको इसकी आर्किटेक्चर यानी वेबपेज, होम पेज की अवधारणा और वेबपेज नेविगेशन के बारे में भी एक बुनियादी समझ दी है जो वेबसाइट बनाने और उसे अनलाइन पर तैनात करने का प्रमुख घटक है।

उम्मीद करता हूँ की अब आपको इसके बारे में अच्छी तरह से समझ आ गया होगा।इसके अलाबा विभिन्न प्रकार की वेबसाइट, साथ ही अपनी खुद की एक ऑनलाइन उपस्थिति कैसे बनाएं? इसके बारे मे विस्तार से बताया गया। अगर इससे समन्धित आपके मन में और कोई सवाल या सुझाब है तो कृपया हमें कमेंट बॉक्स में लिखें। अगर आपको लगता है कि यह लेख उन लोगों के लिए कोई मूल्य जोड़ता है, जो आपना एक ऑनलाइन उपस्थिति चाहते हैं तो इस लेख को सोशल मीडिया पर और अपने दोस्तों के बीच जरुर शेयर करें’।

FAQs

Q). पहला वेबसाइट किसने बनाई थी?

A). एक ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी टिम बर्नर्स-ली ने सन 1990 में पहली वेबसाइट बनाई थी।लेकिन, सन 1993 में, CERN द्बारा इसे 3 साल बाद, इसकी उपयोग मुफ्त एबम सार्वजनिक कर दि।

Q). वेबसाइट में क्या लिखा जाता है?

A). एक वेब पेज में टेक्स्ट, ग्राफिक्स और हाइपरलिंक की एक बड़ी श्रृंखला होती हैं। आमतौरपर, इस पर मौजुद हर एक पैजो मे किसी खास विषयों कि एक स्पष्ट अवधारणा शामिल होता हे जो उपयोग करने बाले दर्शकों को जानकारी प्रदान करने मे मदद करता है। एक पेज में लेखन के साथ-साथ चित्र, इनफोग्राफिक्स या वीडियो भी शामिल होता हैं जौकि कोई उत्पादों या सेवाओं या बिषेश जानकारी से समन्धित हो सकता है।

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