SMS एक ऐसी advanced डिजिटल सेवा है जिससे हर कोइ परिचीत है। एक ऐसा समय ता जब हमे किसी को कोई संदेश भेजना होता तो हमे पत्र लिखना परता था और फिर उसे post office जाकर post box पर डालना होता था।
तव किसी को संदेश पुहचाना एक जटिल प्रक्रिया हुया करता था और इसमे काफी समय लगता था। लेकिन SMS नामक डिजिटल तकनीकि विकास ने इस काम को बडा आसान बना दिया।
SMS के जरिए आज हम चन्द सेकेन्ड मे ही दुनिया कि किसी भी कोने मे तुरन्त आपना संदेश भेज सकते है और लोगो से आसानि से जोड सकते है।
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एसएमएस के साथ एक संक्षिप्त परिचय
एसएमएस एक ऐसी तकनीक है जो लोगों को दो या दो से अधिक मोबाइल फोन के बीच संदेश भेजने और प्राप्त करने में सक्षम बनाती है। यह पहली बार 1992 में यूरोपीय देशों में उभरा था।
शुरुआत में इसे GSM यानि ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशंस की मानकों में शामिल किया गया था। लेकिन, बाद में इसे CDMA और TDMA जैसी वायरलेस तकनीकों में परिवरतित कर दिया गया।
इसमे डेटा ले जाने की क्षमता बहुत सीमित होता है। एक एसएमएस में ज्यादा से ज्यादा140 [(140 bytes * 8 bits)/7 bits = 160 characters] बाइट्स तक की डेटा को ही केरी किया जा सकता है। इसका मतलब ये है कि, किसी भी single SMS मानक वर्ण की सीमा 160 वर्ण तक का ही होता है।
हलांकी, चीनी या जापानी जैसे यूनिकोड वर्णों पर यह सीमा केबल 70 वर्ण तक का ही होता है। इसके अलाबा, संदेश अगर तय सीमा से अधिक होता है तो ये एक से अधिक संदेशो मे विभाजित हो जाते है।
SMS ka full form
एसएमएस का फुल फॉर्म है Short Message Service है, जोकि एक लघु संदेश सेवा है और इसे आमतौर पर text messaging के रूप में भी जाने जाते है।
इस तकनिक की मदद से दो फोन के बीच आपस मे160 अक्षरों तक का टेक्स्ट संदेश भेजे जा सकते है।
इसकी अवधारणा पहली बार 1970 के दशक के अंत में एक जर्मन इंजीनियर, Friedhelm Hillebrand और उनके फ्रांसीसी सहयोगी, Bernard Guilbert द्वारा दि गई थी।
और उन्हों ने ही मोबाइल फोन के माध्यम से एक-दूसरे को संक्षिप्त संदेश भेजने की इस तरीके को खोज निकाला। लेकिन इस अवधारणा को बास्तबिक रुप देने के लिए अब कई तकनीकी समाधान की आवश्यकता थी और जिसे बाद मे Finn Trosby, Kevin Holley और Ian Harris द्वारा आकार दिया गया।
सन ,1983 में नील पैपवर्थ द्वारा जोकि एक ब्रिटिश सॉफ्टवेयर डेवलपर था वोडाफोन जीएसएम नेटवर्क के साथ मोबाइल फोन पर एक संक्षिप्त संदेश भेजा था जिसमे ‘मेरी क्रिसमस’ लिखा था।
एसएमएस कैसे काम करता है?
जैसा कि मैंने पहले कहा, एसएमएस का पूर्ण रूप लघु संदेश सेवा है। सीधे शब्दों में कहें तो यह लिखित पाठ के माध्यम से किसी को संदेश भेजने का एक डिजिटल रूप है।
और आजकल, यह दुनिया भर में दूसरों के साथ संचार करने का सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला तरीका है। एसएमएस कैसे काम करता है इसका संक्षिप्त विवरण यहां दिया गया है:
एसएमएस संदेश वास्तव में आपके फ़ोन पर कैसे आते हैं?
1. संदेश कि संरचना: दरसल यह प्रक्रिया तब शुरू होती है जब कोई उपयोगकर्ता अपने मोबाइल फोन पर किसी को एक संदेश भेजने के लिए कुछ टेक्स्ट टाइप करता है तो इस संदेश में लिखे गए अक्षर की संख्या और इसमे जोडे गए प्रतीकों संख्या को गिना जाता हे जोकि अक्षर और प्रतीकी दोनो को मिलाकर 160 अक्षर तक हो सकते हैं।
2. संदेश को भेजना: मैसेज को टाइप कर लेने के बाद अब उसे भेजने के लिए जब कोई उपयोगकर्ता “send” बटन को दबाता है, तो मोबाइल पर लादे मैसेजिंग ऐप उस मोबाइल डिवाइस के ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ कमुनिकेट करता है और इसके तुरन्त बाद मोबाइल का ऑपरेटिंग सिस्टम उस संदेश को भेजने की प्रक्रिया शुरू कर देता है।
3. स्थानीय प्रसारण: अब रेडियो तरंगों की मदद से भेजे गए उस संदेश को रिसीवर के मोबाइल डिवाइस से सबसे नसदिकी सेल टॉवर जिसे बेस स्टेशन भी कहा जाता है वहा तक भेज दिया जाता है।
अब टावर उस रेडियो सिग्नल को पकड़ता है और उस संदेश को मोबाइल नेटवर्क के सेंट्रल स्विचिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तक भेज देता है।
4. मोबाइल स्विचिंग सेंटर (MSC): जिसे कभी-कभी मोबाइल स्विचिंग सर्वर (एमएसएस) भी कहा जाता है, 2जी और 3जी सेलुलर नेटवर्क का एक घटक है जो एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में ध्वनि संचार को मंजूरी या अस्वीकार करता है और रोमिंग को प्रबंधित करने में मदद करता है।
5. संदेश रूटिंग: एमएससी संदेश को प्राप्तकर्ता के स्थान के निकट उपयुक्त सेल टावर पर भेजता है। इसमें विभिन्न सेल टावरों और नेटवर्क घटकों के माध्यम से कई हॉप शामिल हो सकते हैं जब तक कि संदेश प्राप्तकर्ता के निकटतम टावर तक नहीं पहुंच जाता।
6. वितरण एवं प्राप्ति: मोबाइल उपकरणों के कुछ मॉडलों पर, डिलीवरी और प्राप्तकर्ता की रिपोर्ट “रिपोर्ट देखें” के अंतर्गत दिखाई जाती है। स्टेटस में “प्राप्त”, या “डिलीवर किया गया” दिखाया जाएगा, या कई ने केवल डिलीवरी का समय दिखाया है।
यदि किसी कारण से संदेश वितरित नहीं किया जा सका, तो यह उसकी स्थिति रिपोर्ट पर केवल “लंबित” या “कोई नहीं” के रूप में दिखाई दे सकता है।
7. स्वीकृति: कई मामलों में, प्राप्तकर्ता का डिवाइस प्रेषक के डिवाइस पर एक स्वीकृति भेजता है, जो ये दर्शाता है कि संदेश सफलतापूर्वक वितरित किया गया है।
लेकिन यह स्वीकृति हमेशा तात्कालिक नहीं होती है और ये नेटवर्क के स्थितियों जैसे विभिन्न कारणो पर निर्भर करता है।
यहा एसएमएस से संबंधित कुछ सामान्य संक्षिप्ताक्षर उनके पूर्ण रूप के साथ दिए गए है।
- SMS: Short Message Service
- MMS: Multimedia Messaging Service
- IM: Instant Messaging
- SMSC: Short Message Service Center
- GSM: Global System for Mobile Communications
- CDMA: Code Division Multiple Access
- 3G: 3rd Generation (of mobile networks)
- 4G: 4th Generation (of mobile networks)
- 5G: 5th Generation (of mobile networks)
- SIM: Subscriber Identity Module
- GPRS: General Packet Radio Service
- EDGE: Enhanced Data rates for GSM Evolution
- LTE: Long-Term Evolution
- VoIP: Voice over Internet Protocol
- OTA: Over-The-Air (updates)
- PIN: Personal Identification Number
- P2P: Person-to-Person
- A2P: Application-to-Person
- B2B: Business-to-Business
- B2C: Business-to-Consumer
- BCC: Blind Carbon Copy (email terminology, but also used in messaging apps)
- CC: Carbon Copy (email terminology, but also used in messaging apps)
- ROFL: Rolling On the Floor Laughing (a common text slang)
- LOL: Laugh Out Loud (another common text slang)
- BRB: Be Right Back
- TTYL: Talk To You Later
- FYI: For Your Information
- OMG: Oh My God (or Gosh, depending on the context)
- TMI: Too Much Information
- ASAP: As Soon As Possible
Conclusion
एसएमएस से लोगों को एक-दूसरे से संपर्क करना और डिजिटल रूप में तुरंत संदेश भेजना बहुत आसान बनाया है। हम इसके फायदों के बारे में जितना जानते और समझते हैं, असल में यह उससे कहीं ज्यादा है।
और इन्ही खुबिओ के कारण ही लोग इसे संचार का एक विश्वसनीय माध्यम मानने है साथही-साथ बिजनेस के लिए भी इसे एक अच्छा विकल्प मानते हैं।
यह एक ऐसी तकनीक है जिसका उपयोग शुरुआत में व्यक्ति-से-व्यक्ति (पी2पी) के साथ संचार के लिए किया जाता था और बाद में धीरे-धीरे इसका उपयोग व्यवसाय में भी किया जाने लगा।
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