IMF क्या है? IMF ka full form क्या है?

आपने अक्सर समाचार पत्र, पत्रिका, किताबें या इंटरनेट पर “IMF” नामक इस शब्द को कई बार सुना होगा। हो सकता है आपको इसकी बारे मे थोड़ी बहुत जानकारी हो। लेकिन IMF क्या है? साथही IMF ka full form क्या है? शाएद आपके पास परियाप्त जानकारी न हो।

इसके बारे ज्यादातर लोग वस इतना ही जानते है कि यह वित्यीय प्रबंधन से संबंधित एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है। आपने कई चचो॔ मे अक्सर green list, या red list के बारे मे भी कई बार शुना होगा, लेकिन इन सबके बारे मे आपके पास ज्यादा जानकारी नही है।

चलिए कोई बात नही, इस लेख के माध्यम से आज हम इससे जुड़ी सभी important जानकारी जुटा लेते है,जैसे कि यह कैसे और क्या काम करता है। इसका मुख्यालय कहा पर स्हित है और इसकी स्हापना कभ और किस मकसत के साथ किया गया था। तो आऐ सबसे पहले IMF क्या है? इसके बारे मे थोड़ासा करीब से जानलेते।

IMF क्या है?

International Monetary Fund जिसे संक्षेप मे IMF कहा जाता है , एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसमें कुल190 सदस्य देश शामिल हैं। इस संस्था के गठण के पिछे प्रमुख उद्देश्य वैश्विक मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देना था, जिसमे वित्तीय स्थिरता को सुरक्षित करने से लेकर, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाना, रोजगार के नए नए अवसर पेटा करना और उन्है बढ़ावा देना, सतन्त आर्थिक विकास के रास्ते तलासना और वैश्विक स्तर पर उनका संनचालन सहित कई ऐसी जरुरी काम शामिल था। मुलत: अपने सदस्य देशों के बीच सहयोग, परामर्श और नीति समन्वय के सिद्धांतों के आधार पर इसका गठण किया गया था।

IMF ka full form क्या है?

दरसल IMF एक संक्षिप्त शद्ब है जिसका पुरा नाम है International Monetary Fund, और इसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक आर्थिक संकट से निपटना है।

IMF का इतिहास

वेसे तो आधिकारिक तौर पर International Monetary Fund (IMF) की शुरुबात न्यू हैम्पशायर में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन के दौरान जुलाई, 1944 मे गठित हुई थी। इस सम्मेलन मे कुल 44 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया जिसका मुख्य उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान युद्धग्रस्त देशो के विगरते आथि॔क हलात पर नजर रखना एवम उचित सलाह मुहाईया कराना था। दरसल इसकी निव कि शुरुबात 1941 में अटलांटिक सम्मेलन से ही होने लगी और 1942 की शुरुआत में विशेष सहायक एवम सलाहकारो की विचारों के साथ इसकी विस्तृत योजनाओ पर नए नियमों की रुपरेखा तैयार की जा रही थी।

इसके बाद, जून 1944 के मध्य में संयुक्त राज्य में अटलांटिक सिटी में एक प्रारंभिक सम्मेलन आयोजित किया गया था और 1 जुलाई, 1944 को ब्रेटन वुड्स सम्मेलन के दौरान इसकी आधिकारिक घोषना कि गई। वही से अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवम अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास या संक्षेप मे IBRD का गठन किया गया। और वही अंतर्राष्ट्रीय बैंक आगे चलके विश्व बैंक मे तवदिल हो गया।

IBRD जौकि औपचारिक रूप से 27 दिसंबर, 1945 को अस्तित्व में आया जिसका उद्देश्य युद्ध के दौरान तबाह हये देशों के पुनर्निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना। जबकी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का मुख्य उद्देश अमेरिकी डॉलर और सोने पर केंद्रित विनिमय दरों की प्रणाली को बनाए रखना था। आज, IMF की कुल सदस्य देश 190 है जिसमें 150 सदस्य देशों के लगभग 2,700 कर्मचारी इस संगठन से जुड़े हुये हैं।

IMF कैसे और क्या काम करता है।

आईएमएफ की व्यापक सदस्यता है, और अंतिम अपडेट के अनुसार 190 से अधिक सदस्य देश अब इसके साथ सहियोग मे शामिल हैं। प्रत्येक सदस्य देश एक गवर्नर नियुक्त करता है, आमतौर पर उसके केंद्रीय बैंक का प्रमुख या वित्त मंत्री, जो इसकी वार्षिक बैठकों में भाग लेता है। सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था गवर्नर्स बोर्ड है, और दिन-प्रतिदिन के कार्यों की देखरेख कार्यकारी बोर्ड द्वारा की जाती है।

इसकी प्रमुख कार्यप्रणाली इस प्रकार हैं:

निगरानी:- यह सदस्य देशों के आर्थिक स्वास्थ्य का नियमित आकलन करता है, राजकोषीय नीतियों, मौद्रिक स्थिरता और विनिमय दर व्यवस्था जैसे कारकों का विश्लेषण करता है।

वित्तीय सहायता:- आईएमएफ गंभीर भुगतान संतुलन संकट का सामना कर रहे सदस्य देशों के लिए अंतिम उपाय के ऋणदाता के रूप में कार्य करता है।

तकनीकी सहायता:- यह सदस्य देशों को तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करता है, जिससे उन्हें अपने आर्थिक संस्थानों को मजबूत करने, शासन में सुधार करने और नीति-निर्माण क्षमताओं को बढ़ाने में मदद मिलती है।

अनुसंधान और विश्लेषण:- यह संगठन मौद्रिक नीति, राजकोषीय प्रबंधन, ऋण स्थिरता और वित्तीय स्थिरता सहित कई आर्थिक मुद्दों पर व्यापक अनुसंधान और विश्लेषण करता है।

इस प्रकार यह अस्वस्थ आर्थिक स्थितियों पर काबू पाने के लिए प्रभावी नीतियां विकसित करने में योगदान देता है।

वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट में IMF की भुमिका

IMF ऋणग्रस्थ देशों को नीतिगत एवम व्यवस्थित तरीके से आर्थिक संकट से उभरने का मौका देता है, जिससे स्थिर अर्थव्यवस्था को बनाए रखने मे मदद मिलता है साथही पुण: विकास का मार्ग प्रशस्त होता है। ऋण प्रदान का निर्णय देश की परिस्थितियों के आधार पर नीतिगत रुप मे लिया जाता है। अर्थव्यवस्था में अचानक गिरावट की स्थीति से जुझने वाले देश को अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखने और अपने निर्यात में निरंतरता वरकरार रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सहायता की आवश्यकता होती है।

पिछले दिनो ऐसा कई बार देखा गया है कि कई दैश लगातर गलत नितीओ के चलते गंभीर आर्थिक संकट का सामना करते हुये दिबालियापन के कगार पर पहुच जाते है।

ऐसी स्थीति मे उन देशो को पूंजी क्षय का कारणो का पता लगाने और समस्याओं का निपटरा करने से लेकर अनुकुल आर्थिक नीतिया लागु करने की सलाह देने तक IMF एक बड़ी भुमिका निभाता है। मूलतः, आर्थिक नीतियों की मुख्य खामियों को पहचानने की कोशिश की जाती है और उनमे उपीयोगी सुधार लाने का प्रयास किया जाता है जिससे निवेशकों का विश्वास बहाल किया जा सके। आमतौरपर किसी दैश के लिए ऐसी स्थीतिया तब उतपन्न होती है जब ब्याज दरें बहुत कम हैं, बजट भारी मात्रा मे घाटा और अंतरराष्ट्रीय ऋण बहुत तेजी से बढ़ रहे हो, या बैंकिंग प्रणाली ठप हो गई हो या खराब विनियमित्वा हो। इसकी कुछ अहम भुमिकाओ के बारे मे यहा दिया गया है।

संकट प्रबंधन:- इसके वित्तीय सहायता कार्यक्रम नीतिगत सलाह के साथ, विभिन्न वैश्विक वित्तीय संकटों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उदाहरण के तौरपर 1990 के दशक के अंत में पुरे एशिया महादैश में गठीत होने बाले वित्तीय संकट और फिर इसके बाद दुवारा 2008 में घटने बाली वैश्विक वित्तीय संकट के दौरार दि जाने बाली सलाह एवम वित्तीय सहयोग। इसी तरह की आर्थिक अस्थिरता को स्थिर करने, वित्तीय विश्वास बहाल करने और वैश्विक वित्तीय संकटों के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए यह दृढ़ संकल्पित होकर काम करता है।

आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देना:- निगरानी और नीति सलाह के माध्यम से, यह बिभिन्न देशों कि कमजोरियों की पहचान करने और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक सुधार लागू करने में मदद करता है। इस प्रकार यह निवेशकों के विश्वास को बढ़ावा देता है, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को प्रोत्साहित करता है और सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।

वैश्विक शासन:- आईएमएफ आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है, जो सदस्य देशों को आम चुनौतियों पर चर्चा करने और उनका समाधान करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। इस बीच, यह वैश्विक आर्थिक नीतियों में समन्वय और सुसंगतता सुनिश्चित करने के लिए विश्व बैंक और विश्व व्यापार संगठन जैसे अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ भी सहयोग करता है।

आईएमएफ और विश्व बैंक के बीच अंतर?

IMFWORLD BANK
उद्देश्यविश्व की मौद्रिक प्रणाली की स्थिरता की देखरेख करता हैइसका उद्देश्य मध्यम-आय और निम्न-आय वाले देशों को सहायता प्रदान करके गरीबी को कम करना है
संरचनाएकल संस्था संरचनाइसमें दो संस्थान शामिल हैं: इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (IBRD) और इंटरनेशनल डेवलपमेंट एसोसिएशन (IDA)
सदस्य देश190 सदस्य देश (2021 तक)189 सदस्य देश (2021 तक)
स्थापना1945 में ब्रेटन वुड्स समझौते के हिस्से के रूप में स्थापितद्वितीय विश्व युद्ध के बाद एक विकास संगठन के रूप में स्थापित
फोकासएक स्थिर मौद्रिक प्रणाली को बनाए रखनागरीबी कम करना
कार्यरणनीतियों और नीतियों की देखरेख करता है, बेहतर अर्थव्यवस्था के लिए सुझाव देता हैविकासशील देशों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करता है
कर्मचारीलगभग 2,300 स्टाफ सदस्य, जिनमें अधिकतर अर्थशास्त्री हैं7,000+ का स्टाफ
मुख्य लक्ष्यवित्तीय स्थिरता और अंतर्राष्ट्रीय व्यापारगरीबी में कमी और सतत आर्थिक विकास

Conclusion

“अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष” वैश्विक मौद्रिक सहयोग के लिए परिचित है, जिसका मुख्य कार्य वैश्विक वित्तीय स्थिरता, आर्थिक विकास और व्यवस्था को बनाए रखना है। चूंकि दुनिया लगातार बदलती परिस्थितियों के साथ आर्थिक संकट का सामना कर रही है, आईएमएफ निश्चित रूप से उभरते मुद्दों को संबोधित करने और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक समस्याओं से निपटने में बड़ी भूमिका निभा रहा है।

FAQs

Q). IMF का मुख्यालय कहाँ स्थित है?

A). “अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष” का मुख्यालय वाशिंगटन डी.सी., संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित है। IMF की सड़क के पार एक दूसरे से सटे दो भवन हैं: मुख्यालय 1 720 19वीं स्ट्रीट पर स्थित है, और मुख्यालय 2 वाशिंगटन, डी.सी. में 1900 पेंसिल्वेनिया एवेन्यू में स्थित है।

Q). क्या भारत आईएमएफ का सदस्य है?

A). भारत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का सदस्य देश है। भारत 27 दिसंबर 1995 से इस संगठन में शामिल हुआ। अब इसके कुल 190 सदस्य देश हैं और भारत इसके गठन के बाद से उनमें से एक है।

Q). भारत IMF में कब शामिल हुआ?

A). भारत 27 दिसंबर 1945 को इसके मूल सदस्यों में से एक के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में शामिल हुआ।

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