कंप्यूटर एक ऐसा आविष्कार है जिसने हर क्षेत्र के लोगो को एक दुसरे से जुडके रंखा है। आज internet और कंप्यूटर के संयोजन से लगवग वह सभी काम संभव हो पाया है है जिनके बारे मे कुछ दशक पहले सौचना भी मुमकिन नही था।
शिक्षा से लेकर जटिल वैज्ञानिक विश्लेषण याफिर robotic science से लेकर AI technology इन पर research और इनका विकाश बिना कंप्यूटर के शाएद कभी भी संभव नही हो पता।आपको भी शाएद पता होगा कि कंप्यूटर केवल एक विशेष उपकरण नही है जिसे हम अपने घरों में सामान्य प्रयोजनों के लिए उपयोग करते हुए देखते हैं, बल्कि ये इससे कहीं अधिक है।
एक कंप्यूटर को जरुरत के अनुसार किसी खास काम के लिए भी तौयार किए जा सकता ताकि किसी खास काम को वे पुरी निपुनता के साथ पुरा कर सके। उदाहरण के लिए, किसी कार निर्माण उद्योग मे काम करने बाले अलग अलग प्रकार के रोबोट।
लेकिन किसी कंप्यूटर को इस हद तक सशक्त बनाने के लिए कई सारे खास peripheral accessories को अपस मे जुड़ना पडता है और वही पे जरुरत होती है कंप्यूटर नेटवर्क तकनिक की।
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Computer Network क्या है?
सूचना और प्रौद्योगिकी कि दुनिया में, कंप्यूटर नेटवर्क का माएने होता है केबल या वायरलेस कनेक्शन द्वारा दो या उससे अधिक कंप्यूटर सिस्टम के अपस मे कनेक्ट करना ताकि एक कंप्यूटर से दुसरे कंप्यूटर तक संसाधन या सिग्नल पहुचाया जा सके।
कंप्यूटरो को एक साथ जुड़ने के कई अलग अलग तरीके है। लेकिन इनमे से सबसे आसान जौ तरीका है वह है केबल द्वारा स्थापित नेटवर्क। इस प्रकार के networking system को पियर-टू-पियर नेटवर्क कहा जाता है।
ऐसी नेटवर्क का दायरा काफी सिमीत होते है। वे एक दुसरे से जुड़ै होने के काऱण प्रत्येक कंप्यूटर या इससे जुडै कोई अन्य डिवाइस से डेटा या एप्लिकेशन लाना और लेजाना काफी आसान हो जाती है। उदाहरण के लिए, एक पियर-टू-पियर नेटवर्क से जुड़ै कोई डिवाइस जैसेकि एक प्रिंटर को संसाधन के तोत अपस मे साझा कर सकते है। चलिए, आगे चलते है और जानलेते है कि Computer Networking system कितने प्रकार के होते है जिसके लिए हमे इसकी इतिहास पर एक नजर ढाल लेने कि जरुरत है।
इसका संक्षिप्त इतिहास
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कंप्यूटर नेटवर्किंग हमारे लिए कितनी महत्वपूर्ण है। आज हम सभी इंटरनेट की मदद से दूर से दोस्तों, रिश्तेदारों और परिवार से जुड़े रहने और ऑनलाइन उपलब्ध विशाल मात्रा में जानकारी तक पहुंचने या सभी प्रकार की ऑनलाइन सेवाओं तक पहुंचने के लिए इस पर निर्भर हैं।लगवग हर रौज हम आपनी दैनिक कामो को पुरा करने के लिए कंप्यूटर नेटवर्किंग तकनिक का इस्तेमाल करते है, लेकिन सच पुछे तो हम मे से कितने लोग इसकी बारे मे गहरी जानकारी रखते है।
मेरा कहने का मतलब है कि हममे से कितने लोग जानते है कि कंप्यूटर नेटवर्किंग असल मे क्या है और ये काम कैसे करता है। क्या आप जानते है कि इसका आविष्कार कब और किसने किया? तो चलिए इसके बारे मे विस्तार से जानने के लिए इसके पिछे छिपे इतिहास पर एक नजर ढाल लेते है।
तो जैसा कि मेने आपसे पहले भी कहा कि कंप्यूटर नेटवर्किंग दरसल दो या दो से अधिक कंप्यूटरों को एकसाथ जोड़ने की एक तकनिक है ताकि वे अपस मे आपनी संसाधनो को एक सुसरे के साथ साझा कर सकें और एक दूसरे के साथ communicate कर सकें। हलांकी इसके कई अलग अलग प्रकार है जिन्है एक एक करके आगे हम इस लेख मे जानेंगे। फिलहल हम पहले इसकी इतिहास को धौड़ासा जान लेते है। जानकारो कि माने तो,1960 के दशक की शुरुआत में एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी नेटवर्क (ARPANET) के द्बारा इस तकनिक को पहली बार खोजा गया है।
ARPANET जौकि एक अमेरिकी संगठन है जिसे अमेरिकी सरकार द्वारा रक्षा परियोजना को अधिक बेहतर बनाने के उद्देश्य से किया गया था।
हलांकी, 70 के दशक तक आते आते में, ARPANET का उपयोग कई ओर क्षेत्रो मे भी होने लगा और ये दुनिया भर के शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों द्वारा उपयोग किया जाने लगा। इसी समयकाल के दौरान ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल या इंटरनेट प्रोटोकॉल (टीसीपी/आईपी) जैसी revolusionary नेटवर्किंग तकनिक का आविष्कार हुआ था।
टीसीपी/आईपी नेटवर्क प्रोटोकॉल का एक सेट है जिसका उपयोग कंप्यूटरों के बीच संचार को secure करने के लिए किया जाता है। और ये टीसीपी/आईपी अब इंटरनेट के सबसे उपियोगी मानक प्रोटोकॉल है।
1980 के दशक कि शुरुबात से, नेटवर्क के इन तकनिको को कई व्यवसायों संस्हानओ और कुछ निजी उपभोक्ताओं द्वारा अपनाया जाने लगा। यह पर्सनल कंप्यूटर के विकास और डायल अप इंटरनेट एक्सेस की शुरूआती दौर था।
1990 के दशक में इंटरनेट का तेजी से विकास हुआ जब टिम बर्नर्स-ली के द्बारा वर्ल्ड वाइड वेब का आविष्कार हुआ, जिससे लोगों के लिए इंटरनेट पर जानकारी और सेवाओं तक पहुंचा आसान बना दिया। इसके बाद ब्रॉडबैंड इंटरनेट की शुरुआत हुई जिसके साथ व्यवसायों और उपभोक्ताओं के लिए इंटरनेट का उपियोग तैजी के साथ बड़ता चला गया।
कंप्यूटर नेटवर्क के प्रकार
आमतौर पर कनेक्टिविटी के आधार पर कंप्यूटर नेटवर्क दो प्रकार के होते हैं, एक वायर्ड नेटवर्क कनेक्टिविटी और दूसरा वायरलेस नेटवर्क कनेक्टिविटी। लेकिन क्षेत्रफल के आधार पर एक कंप्यूटर को दूसरे कंप्यूटर से जोड़ने वाले मुख्यतः वे पांच प्रकार के होते हैं जो नीचे दिए गए हैं:
PAN (Personal Area Network):
पर्सनल एरिया नेटवर्क किसी व्यक्तिगत कार्यक्षेत्र पर एक सिमीत दाएरे के अन्दर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है। पैन कंप्यूटर, लेपटप, स्मार्टफोन, टैबलेट, इसके अलाबा और कई तरह की व्यक्तिगत सहायक डिजिटल उपकरणों के बीच डेटा ट्रांसमिशन प्रदान करने या कनेक्टिविटी स्थापित करने के लिए किया जाता है।
LAN (Local Area Network):
लोकल एरिया नेटवर्क एक ऐसी कंप्यूटर नेटवर्क है जो एक सीमित क्षेत्रो या दाएरे मे कंप्यूटर या अन्य डिजिटल उपकरणो के विच नेटवर्क कनेक्टिविटी स्थापित करता है। जैसे निवास, किसी बड़ी ईमारत की परिसर,स्कूल, कलेज, प्रयोगशाला, विश्वविद्यालय परिसर या किसी कार्यालय भवन के भीतर कंप्यूटरों को आपस में जोड़ने का काम करता है। ये आमतौर पर डिजिटल उपकरणों को वायर्ड या वायरलेस दोनो तरीको से कनेक्टिविटि स्थापित कर सकता हैं।
CAN (Campus Area Network):
CAN एक कंप्यूटर नेटवर्क कनेक्टिविटी है जो कैंपस परिसर के भीतर कंप्यूटर या अन्य समान डिजिटल उपकरणों को आपस में जोड़ता है। जैसे स्कूल कॉलेज या कोई व्यावसायिक इमारत। यह एक परिसर के भीतर कई इमारतों को जोड़ सकता है और ईथरनेट तकनीक का उपयोग करके नेटवर्क कनेक्टिविटी स्थापित कर सकता है। ये आमतौर पर LAN कनेक्टिविटी से बड़े होते हैं और इन्हें वायर्ड, वायरलेस या ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से जोड़ा जा सकता है।
MAN (Metropolitan Area Network):
मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क किसी मेट्रोपॉलिटन सिटि या किसी बड़े शहर और कस्बे के भीतर कंप्यूटरों या कंप्यूटर संसाधनों को एकसाथ जोड़ता है। यह लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) से अधिक बड़े क्षेत्र को कभर कर सकता है। यह आमतौर पर वायर्ड, वायरलेस या ऑप्टिकल फाइबर द्बारा कनेक्टिविटी स्थापित करता हैं।
WAN (Wide Area Network):
वाइड एरिया नेटवर्क कंप्यूटर कनेक्टिविटी की सबसे बड़ी नेटवर्क तकनीक है। यह एक दूरसंचार आधार नेटवर्क है। यह एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में फैला हुआ है, जो लगभग पूरे विश्व को कवर करने में सक्षम है। इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए, आप अन्य सभी नेटवर्क कनेक्टिविटी को कई अलग-अलग नदियों के रूप में और वाइड एरिया नेटवर्क को एक महासागर के रूप में सोच सकते हैं।
कंप्यूटर नेटवर्क कैसे काम करता है?
कंप्यूटर या तो वायर्ड या वायरलेस तरीके से कनेक्टिविटी बनाते हैं, और वे हार्डवेयर उपकरणों और सॉफ़्टवेयर अनुप्रयोगों के संयोजन के साथ काम करते हैं। कंप्यूटर नेटवर्क कैसे काम करता है, यह समझने के लिए आपको सबसे पहले इसकी आर्किटेक्चर को समझना होगा।
नेटवर्क आर्किटेक्चर:
वे मुख्य दो प्रकार होते हैं: पी2पी और क्लाइंट/सर्वर
पीयर-टू-पीयर (पी2पी):
पी2पी नेटवर्क में, कंप्यूटर पीयर के रूप में एक दुसरे से जुड़े होते हैं, और आपस मे जुड़ै प्रत्येक कंप्यूटर एक क्लाइंट और एक सर्वर के रूप में काम करता है। ष्टोरेज, मेमोरी, बैंडविड्थ और प्रोसेसिंग पावर जैसे सभी संसाधन एक दुसरे के बीच साझा किए जाते हैं।
क्लाइंट/सर्वर:
इस नेटवर्क में, एक केंद्रीय सर्वर होता है जो नेटवर्क का समन्वय करता है और क्लाइंट कंप्यूटरों को सेवाएं प्रदान करता है। इसमे ग्राहक सेवाए प्राप्त करने के लिए सर्वर से अनुरोध करता हैं, सर्वर उनके मांग के आधार पर क्लाइंट को सेवाएं प्रदान करता है।इस आर्किटेक्चर का उपयोग आमतौर पर बड़े नेटवर्क में किया जाता है जहां एक केंद्रीकृत नियंत्रण और एक प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
नोड्स और लिंक:
कंप्यूटर नेटवर्क बनाने के लिए यह सबसे बुनियादी उपकरण हैं, जिन्है Data communications equipment (DCE) और Data Terminal Equipment (DTE) के रुप मे जाना जात है। यह मॉडेम, हब, स्विच जैसे डेटा टर्मिनल के द्बारा कंप्यूटर और प्रिंटर जैसे उपकरणों के साथ संचार करते हैं। लिंक ट्रांसमिशन मीडिया उपकरण है जो नोड्स को जोड़ता है, जो केबल या ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से याफिर वायरलेस कनेक्टिविटी के द्बारा स्थापित कोई भौतिक कनेक्टिविटी भी हो सकता है।
DCE के कुछ उदाहरण:–
मॉडेम DCE का एक सबसे सामान्य उदाहरण है। इसके अलाबा ISDN एडाप्टर, उपग्रह, माइक्रोवेव स्टेशन, बेस स्टेशन और नेटवर्क इंटरफ़ेस कार्ड हैं जैसि उपकरणे इसके बड़े उदाहरण है।
DTE के कुछ उदाहरण:- जैसे कंप्यूटर, प्रिंटर, एप्लिकेशन सर्वर, फ़ाइल सर्वर, राउटर और ब्रिज, डंब टर्मिनलआदि। आम तौर पर डीटीई एक दूसरे के साथ कमोनिकेट नहीं करता।
प्रोटोकॉल और संचार:
कंप्यूटर नेटवर्क काम करते समय कुछ नियमों का पालन करते हैं और नेटवर्क कि भाषा में इन्हें प्रोटोकॉल के नाम से जाना जाता है,जैसेकि टीसीपी (ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल)/आईपी (इंटरनेट प्रोटोकॉल)। प्रोटोकॉल डेटा ट्रांसमिशन को नियंत्रित करता हैं ताकि क्लाइंट और सर्वर के बीच डेटा सुरक्षित रूप से संचारित हो सके। यह डेटा ट्रांसमिशन को सटीक और कुशल बनाता है। ये नेटवर्क और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बीच डेटा के आदान-प्रदान को नियंत्रित करते हैं।
डेटा ट्रांसमिशन:
जब डेटा कंप्यूटर नेटवर्क पर प्रसारित होता है, तो इसे छोटे छोटे इकाइयों में विभाजित किया जाता है जिन्हें पैकेट कहा जाता है। विभाजित किए गए हर एक पैकेट में डेटा का एक हिस्सा मौजुद होता है, और साथ ही इनमे पते की जानकारी भी मौजुद होती है जो इसे सही ठिकानो तक ले जाने मे मदद करता है। फिर उन पैकेटों को नेटवर्क पर भेजा जाता है और प्राप्तकर्ता उन्है आसानी से प्राप्त करता है।
इंटरनेट:
इंटरनेट इंटरकनेक्टेड कंप्यूटर नेटवर्क की एक बिशाल जाल है जो दुनिया भर में कई अरब कंप्यूटरो को एक मानक इंटरनेट प्रोटोकॉल (टीसीपी/आईपी) के द्बारा एकसाथ डुड़े रंखा है। यह एक वैश्विक विद्युत तरंगो कि एक बुनियादी ढांचा है जिसमें स्थानीय क्षेत्र से लेकर वैश्विक दायरे तक के लाखों कि संखा मे निजी, सार्वजनिक, शैक्षणिक, व्यावसायिक संगठन और सरकारी नेटवर्क शामिल हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक, वायरलेस और ऑप्टिकल नेटवर्किंग तकनिकयों का एक विस्तृत जाल से जुड़े हुए हैं। इंटरनेट सूचना, संसाधनों और वर्चुअल सेवाओं की एक विस्तृत समुह है, जौ हाइपरटेक्स्ट दस्तावेज़ बनाने, वर्ल्ड वाइड वेब कि सेर करने , इलेक्ट्रॉनिक मेल भेजने, टेलीफोन सेवाए प्राप्त करने और फ़ाइल शेयरिंग जैसे काम करने मे हमारी मदद करता है।
कंप्यूटर नेटवर्क के उपकरण
सर्वर, क्लाइंट, पीयर, ट्रांसमिशन मिडिया और कनेक्टिंग डिवाइस हार्डवेयर घटक हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम और प्रोटोकॉल सॉफ्टवेयर घटक हैं, यह सभी जरुरी घटको के संयोजन से ही एक नेटवर्क स्थापित किए जाते है। इनके अलाबा भी कई और हार्डवेयर एवंम सॉफ्टवेयर घटक हैं जो एक नेटवर्क स्थापित करने मे भागीदार होते है।
Server:
वैबसर्वर एक कंप्यूटर प्रोग्राम और एक भौतिक उपकरण का एक संयोजन है जो “क्लाइंट” नामक अन्य प्रोग्राम या डिवाइस के लिए सेवाएं प्रदान करता है। इस आर्किटेक्चर को क्लाइंट-सर्वर मॉडल भी कहा जाता है। एक सर्वर कई क्लाइंट के बीच एक साथ डेटा या संसाधन साझा करने में सक्षम है। एक सर्वर एक साथ कई क्लाइंट्स को सेवा दे सकता है, और एक क्लाइंट एक साथ कई सर्वरों का उपयोग कर सकता है।
Modem:
मॉडेम एक नेटवर्क डिवाइस है जो टेलीफोन लाइन या केबल नेटवर्क पर डिजिटल सिग्नल को एनालॉग सिग्नल में परिवर्तित करता है, और फिर एनालॉग सिग्नल को कंप्यूटर के उपयोग के लिए डिजिटल सिग्नल में परिवर्तित करता है ताकि कंप्यूटर उन्हें समझ सके। यह मॉड्यूलेटर और डेमोडुलेटर शब्दों के संयोजन से बना है। डिजिटल सिग्नल अलग अलग बिट्स से बने होते हैं, जबकि एनालॉग सिग्नल निरंतर तरंगें होते हैं। यह डिजिटल सिग्नल को एनालॉग सिग्नल में इसलिए परिवर्तित करता हैं ताकि उन्हें टेलीफोन लाइन या केबल नेटवर्क पर प्रसारित किया जा सके।
Router:
एक राउटर दो या दो से अधिक नेटवर्क या सबनेटवर्क को एकसाथ जोड़ने का काम करता है और उनके बीच डेटा पैकेट को आगे ले जाता है। यह कई उपकरणों को एक ही इंटरनेट कनेक्शन साझा करता है और उनके इच्छित आईपी पते पर डेटा भेजकर ट्रैफ़िक का प्रबंधन करता है।जैसे एक स्विच कई डिवाइसों को एकसाथ जोड़ता है, बिलकुल उसी तरह एक राउटर कई स्विचों और उनके संबंधित नेटवर्क को एकसाथ जोड़ता है। राउटर एक स्विच कि तुलना मे बडा नेटवर्क बनाते है।
Switch:
स्विच वह कनेक्टिंग डिवाइस है जो एक ही नेटवर्क में कई उपकरणों को एकसाथ जोड़ने का काम करता है और साथही उनके बीच डेटा प्रवाह का प्रबंधन करता है। यह OSI मॉडल की डेटा लिंक परत पर काम करता है और डिवाइस कि पते के आधार पर डेटा पैकेट को अग्रेषित करता है। यह अवांछित ट्रैफ़िक को फ़िल्टर करके नेटवर्क कि सुरक्षा और दक्षता में सुधार कर सकता है। स्विच विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे अप्रबंधित, प्रबंधित, स्मार्ट, वर्चुअल, रूटिंग आदि।
Bridges:
ब्रिज एक नेटवर्क कनेकटिंग उपकरण है जो दो या दो से अधिक नेटवर्क को एक साथ जोड़ता है। यह OSI मॉडल के डेटा लिंक लेयर पर काम करता है और इसे लेयर 2 स्विच के रूप में भी जाना जाता है। यह एक नेटवर्क को अलग-अलग बैंडविड्थ वाले अनुभागों में अलग करता है। यह उन नेटवर्कों में से एक है जो संचार और डेटा स्थानांतरित करने के लिए समान प्रोटोकॉल का उपयोग करता है। कंप्यूटर नेटवर्क में तीन प्रकार के ब्रिज होते हैं: 1. ट्रांसपेरेंट ब्रिज, 2. सोर्स रूटिंग ब्रिज और 3. ट्रांसलेशनल ब्रिज।
Firewall:
फ़ायरवॉल एक नेटवर्क सुरक्षा प्रणाली है जो इनकमिंग और आउटगोइंग नेटवर्क ट्रैफ़िक की निगरानी करता है और सुरक्षा नियमों की पूर्वनिर्धारित सेटिंग के आधार पर अवांछित ट्रैफ़िक कि पहुंच को रोकता है। यह कंप्यूटर नेटवर्क सुरक्षा का एक प्राथमिक रक्षा प्रणाली है। फ़ायरवॉल आपके कंप्यूटर या नेटवर्क को विभिन्न दुर्भावनापूर्ण (मानव या बॉट द्बारा कि जाने बाली हमले) साइबर हमले की संभावनाओं से भी बचाता है।
Gateway:
गेटवे एक रूट की तरह काम करता है जो विभिन्न नेटवर्किंग मॉड्यूल पर दो नेटवर्क के बीच संबंध बनाता है। वे एक मैसेंजर की तरह काम करते हैं जो एक सिस्टम से डेटा उठाता है, उसकी व्याख्या करता है और फिर दूसरे प्रोटोकॉल का उपयोग करके इसे दूसरे सिस्टम में स्थानांतरित करता है। और इस फीचर के कारण इसे नेटवर्क कन्वर्ट भी कहा जाता है।
Network Interface Card (NIC):
एनआईसी (नेटवर्क इंटरफ़ेस कार्ड) एक नेटवर्क एडाप्टर है जो कंप्यूटर को नेटवर्क से कनेक्ट करने का काम करता है। इसका इस्तेमाल कंप्यूटर में LAN को स्थापित करने के लिए किया जाता है। इसमें एक अद्वितीय आईडी होता है जो चिप के उपरी परत पर लिखा होता है। इसमें केबल को कनेक्ट करने के लिए एक कनेक्टर होता है जो केबल को स्थिरता के साथ पकड़ें रखता है। एनआईसी कार्ड एक लेयर 2 डिवाइस है जो नेटवर्क मॉडल के भौतिक और डेटा लिंक दोनों परतों पर समान रुप से काम करता है।
नेटवर्क टोपोलॉजी क्या है?
नेटवर्क टोपोलॉजी कंप्यूटर नेटवर्क में उपकरणों और कनेक्शनों की लजिकल व्यवस्था है। टोपोलॉजी को आप केबलों और उपकरणों कि एक लेआउट की तरह समझ सकते है, यह इस बात को तय करता है कि नेटवर्क के भीतर डेटा कैसे प्रवाहित होता है।
नेटवर्क टोपोलॉजी के प्रकार
नेटवर्क टोपोलॉजी के पाँच मुख्य प्रकार हैं जिन्है एक एक करके निचे दिया गया है:
बस टोपोलॉजी: यह नेटवर्क पर सभी डिवाइस के साथ एक ही केबल से जुड़े होते हैं।
स्टार टोपोलॉजी: यह नेटवर्क पर सभी डिवाइस के साथ एक सेंट्रल हब या स्विच के साथ जुड़े होते हैं।
रिंग टोपोलॉजी: यह नेटवर्क पर सभी डिवाइस के साथ एक कुंडली में जुड़े हुए होते हैं।
मेश टोपोलॉजी: इसमे हर डिवाइस नेटवर्क पर हर एक दूसरे डिवाइस से जुड़ा होता है।
ट्री टोपोलॉजी: इसमे हर डिवाइस एक पदानुक्रमित संरचना के साथ जुड़ा रहता हैं, और शीर्ष पर एक केंद्रीय डिवाइस और नीचे डिवाइस की कई शाखाएं मौजुद होते हैं।
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Biswajit
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