DNS full form in hindi || Domain Name System क्या है?

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DNS इंटरनेट का एक अनिवार्य हिस्सा है, क्योंकि यह उपयोगकर्ताओं को उनके IP पते के बजाय उनके डोमेन नाम के आधार पर वेबसाइटों और अन्य ऑनलाइन सेवाओं तक पहुँचने की अनुमति देता है। DNS का मतलब होता है डोमेन नेम सिस्टम।

यह एक इंटरनेट सेवा है जो डोमेन नामों को अद्वितीय IP पतों में अनुवादित करती है, जिन्हें संख्यात्मक वर्णों में आवंटित किया जाता है। कंप्यूटर डोमेन नामों को नहीं समझ सकते हैं, इसलिए डोमेन नामों को मशीन पठनीय IP पतों में अनुवादित करने की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, डोमेन नाम “www.example.com” वास्तव में एक IP पता है जो पीछे काम करता है (जैसे 192.168.0.111)।

अब जब भी कोई उपयोगकर्ता अपने वेब ब्राउज़र में डोमेन नाम टाइप करता है, तो उसका कंप्यूटर सबसे पहले डोमेन नाम को एक IP पते में बदलने के लिए DNS सर्वर को एक अनुरोध भेजता है जिसे कंप्यूटर अच्छी तरह से समझ सकता है और होस्ट सर्वर में यह पता लगाने की प्रक्रिया शुरू करता है कि यह कहाँ स्थित है। उपयोगकर्ता का कंप्यूटर तब वेबसाइट से कनेक्ट करने के लिए उस IP पते का अनुसरण करता है।

DNS क्या है?DNS full form in hindi

ये डोमेन नेम सिस्टम का संक्षिप्त रूप है। यह एक सर्वर वितरण प्रणाली है जहाँ एक डोमेन नाम को मशीन द्वारा पढ़े जाने वाले IP पते में बदला जाता है जो इंटरनेट का उपयोग करके वर्ल्ड वाइड वेब से किसी भी वेबसाइट को खोजने के लिए कंप्यूटर के लिए आवश्यक है। जब कोई उपयोगकर्ता अपने वेब ब्राउज़र में किसी वेबसाइट पर जाने के लिए उस वेबसाइट का नाम दर्ज करता है, तो क्लाइंट कंप्यूटर IP जानकारी प्राप्त करने के लिए क्लाइंट स्थान से नज़दीकी DNS सर्वर से अनुरोध करता है, जिसे DNS रिकर्सिव के रूप में जाना जाता है।

डोमेन नाम को IP पते में ट्रांसलेट किए बिना कंप्यूटर इंटरनेट के माध्यम से कभी भी कोई वेबसाइट नहीं खोल सकता है। जब भी कोई क्लाइंट किसी विशिष्ट वेबसाइट के IP के लिए अनुरोध करता है तो रिकर्सिव DNS सर्वर आधिकारिक DNS सर्वर की सूची के माध्यम से खोज करता है, जो विशिष्ट डोमेन के लिए DNS रिकॉर्ड प्रबंधित करने के लिए ज़िम्मेदार होते हैं।

डोमेन नामों के IP पतों के बारे में जानकारी प्रदान करने के अलावा, यह साइबर सुरक्षा के लिए भी ज़िम्मेदार है, जैसे DNS Security Extensions (DNSSEC), जो इंटरनेट पर प्रसारित डेटा को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं। यह उपयोगकर्ताओं के लिए वेबसाइटों और अन्य ऑनलाइन सेवाओं तक पहुंच को आसान बनाता है, और डोमेन नामों को आईपी पते में अनुवाद करने का एक पारदर्शी तरीका प्रदान करता है।

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DNS क्या काम करता है?

जब कोई उपयोगकर्ता इंटरनेट पर किसी वेबसाइट को विजिट करने के लिए आपने व्राउजर पर उस वेबसाइट की नाम को डोमेन एक्सटेंशन के साथ दज॔ करता है तो वह साइट चन्द सेकेन्ड के अन्दर उस उपयोगकर्ता के स्क्रीन पर उपेन हो जाता। वाले ही यह प्रक्रिया आपको दिखने मे आसान लगता हो लेकिन असल मे इसके पिछे एक जटिल प्रक्रिया छुपा हुया है।

बाले ही आप किसी साइट को इसकी डोमेन नेम से जानते , पहचानते और याद रखते हैं, लेकिन वास्तव मे यह 32-bit number का एक complete सेट है जिसे इंटरनेट प्रोटोकॉल या IP पते के रुप मे जाने जाते है और डोमेन नेम सिस्टम वर्णानुक्रमित उन डोमेन नामो को संस्खात्मक पते मे परिवर्तित करता है और क्लाइन्ट के निकट पेश करने उसे सर्वर पर ढुढने निकल परता है। डोमेन नामों को वर्णानुक्रमित रजिसटर कराने का मुल कारण यह की संस्खात्मक IP पतो को अस्कर याद रख पाना कठिन हो सकता है, वही वर्णानुक्रमित उन डोमेन नामो को मानव द्बारा पढ़ने या याद रखने मे आसानी होती है।

उदाहरण के तोरपर, Google.com, Facebook.com या अन्य कोई भी वेबसाइट जिन्है आप अस्कर बिजिट करते है उनके नाम आपको रटे रटाया याद रहता है लेकिन वही अगर आपको उन्है उनकी IP Addresses को याद रखने के लिए कहा जाए तो इसे याद कर पाना आपके लिए मुशकिल होगा।

दरसल कम्पोटर किसी भी वेबसाइट को उसके नाम या डोमेन नेम के द्बारा सिधेतौरपर नही पहचानता वल्की उसके पिछे आवंटित किए गए डिजिट से पहचानते है जिन्है हम आईपी एड्रेस के तौरपर जानते है। ऐसे मे जब आप आपने ब्राउजर पर किसी वेबसाइट का नाम या डोमेन नेम टाइप करते है तो डोमेन नेम सिस्टम सबसे पहले उसे आईपी एड्रेस मे परिवति॔त करता है और उस पते को ढुढ़ने की अगली पक्रिया शुरु करता जिसे DNS resolver कहा जाता है।

DNS कैसे काम करता है?

रिज़ॉल्वर की इस प्रक्रिया में होस्टनेम (जैसे www.digipole.in) को कंप्यूटर या मशिऩ-फ्रेंडली एड्रेस (जैसे 194.186.1.1) में बदलता है। इंटरनेट से जुड़ने बाली प्रत्येक डिवाइस को एक IP एड्रेस प्रदान किया जाता है जिसे इंटरनेट से जुड़े अन्य डिवाइस को खोजने के लिए उपीयोग किया जाता है।

जैसे किसी भौतिक रूप से स्थित घर या दफ्तर को खोजने के लिए लेन एड्रेस या पिन कोड का उपयोग किया जाता है विलकुल ऐसे ही इंटरनेट पर जब कोई उपयोगकर्ता आपने कम्पोटर पर किसी वेबपेज को लोड करना चाहता है, तो उन्है अपने वेब ब्राउज़र में उस आई पी एड्रेस (वेबपेज URL) को टाइप करना होता है।अब उस वेबपेज को एक विस्तृत रिकॉर्ड के अन्दर से खोज निकलने की जिममेदारी DNS resolver का होता है।

what is domain name system

क्लाइन्ट द्बारा कि गई प्रत्येक क्वेरी (जिसे DNS अनुरोध कहा जाता है), IP पतों को हल करने के लिए चार चरणीय लजिक को अप्लाई करता है। जब कोई उपयोगकर्ता आपने ब्राउजर मे कई URL दर्ज करता है, तब कंप्यूटर उपयोगकर्ता द्बारा किए गए उस अनुरोध को संबोधित करने के लिए उपयुक्त जानकारी जुटाने मे जुड़ जाता है और संसाधन की मुल रिकॉर्ड का पता लगाने के लिए क्रमिक रूप से तबतक क्वेरी भेजता रहता है जब तक न उस डोमेन से जुड़े आधिकारिक सर्वर का पता न लगा ले।

हलांकी डोमेन रिज़ॉल्वर की प्रक्रिया शुरु करने से पहले ब्राउजर अपने सिस्टम मे एकवार कैशिंग रिकॉर्ड्स को खंगालता है, अगर उपयोगकर्ता द्बारा किए गए क्वेरी से सटे URL उसे यहा नही मिलता तो फिर ऑथरेटिव नेमसर्वर तक पहुचने का प्रयास शुरु कर देता है। डीएनएस रिज़ॉल्वर के काम करने की प्रक्रिया को और आसानी से समझने के लिए DNS क्वेरी को किन किन हार्डवेयर घटकों के बीच से गुजरना होता है इसे भी समझना आपके लिए जरुरी है।

DNS के प्रकार?

DNS सर्वर को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया हैं और वे सभी सामंजस्यता के साथ किसी डोमेन के IP पते को सर्वर रिकॉर्ड से ढुढ़कर लाता है ओर क्लाइंट के समक्स प्रस्तुत करता है।

  • Recursive resolvers
  • Root nameservers
  • TLD nameservers
  • Authoritative nameservers

1. Recursive resolvers

रिकर्सिव रिज़ॉल्वर DNS क्वेरी प्रसेस का पहला पड़ाव है। रिकर्सिव रिज़ॉल्वर क्लाइंट द्बारा किए गए क्वेरी को रिज़ॉल्व करने के लिए नेमसर्वर से सम्प॔क स्थापित करने के लिए जिम्मेदार होता है। क्लाइंट से क्वेरी प्राप्त करने के बाद, रिकर्सिव रिज़ॉल्वर पहले कैश से डेटा को निकाल की कोशिश करता अगर कैश पर जानकारी मौजुद ना हो तो रूट नेमसर्वर और आधिकारिक नेमसर्वर से सम्प॔क साधता है।

अब आधिकारिक नेमसर्वर से प्राप्त जानकाकी को रिकर्सिव रिज़ॉल्वर, क्लाइंट कम्पोटर को भेज दिया जाता है और फिर आपका कम्पोटर उस वेबसाइट को लोड करने मे सक्षम होते है।

रिकर्सिव रिज़ॉल्वर इस जानकारी को अपने कैश मे सहेज कर रखता है ताकि अगली बार जब कोई उपयोगकर्ता उस डोमेन नाम कि IP पते के लिए अनुरोध भेजता है, तो रिज़ॉल्वर इस प्रक्रिया को दुवारा दौहराने के बजाए क्लाइंट कम्पोटर को वह जानकारी उसके कैश रिकॉर्ड से ही तुरन्त प्रदान कर सके। हलांकी ज्यादातर इंटरनेट उपयोगकर्ता, इसके लिए अपने ISP (Internet service provider) प्रदाता द्वारा प्रदान किए गए DNS रिज़ॉल्वर पर निर्भर करते हैं। लेकिन हो सकता है आपको पता न हो कि इसके लिए अन्य विकल्प भी उपलब्ध हैं जैसे गुगल का 8.8.8.8 और 8.8.4.4 पबलिक डीएनएस सर्वर।

2. Root nameservers

रूट सर्वर डोमेन नेम रिज़ॉल्व की पुरी ब्यावस्था को चलाते हैं और रूट ज़ोन की पदानुक्रमण के तहत अपने काम को अनजाम देता है। दरसल रूट ज़ोन कई शीर्ष-स्तरीय डोमेन की एक प्रकाशित फ़ाइल हैं जोकि पुरी विश्बवर के लिए उपलध्ब है। रूट नेमसर्वर में generic top-level domains (gTLDs) .org, .com, .net. .gov, .edu, जैसे ग्लोबल लेबल डोमेन एक्सटनशन शामिल होते है।

इसके अलाबा country code top-level domain names (ccTLDs) जैसे .au(Australia), br(Brazil), .in(India) .uk(United Kingdom), .ru(Russia) इसमे शामिल हैं जो किसी देशों के स्थानीय वर्णों के मिलान अक्षरो से लिया गया हैं। शीर्ष-स्तरीय डोमेन Internet Assigned Numbers Authority (IANA) और Internet Corporation for Assigned Names and Numbers (ICANN) द्बारा नियन्त्रित किया जाता है।

इन रूट ज़ोन या शीर्ष-स्तरीय डोमेनो को DNSSEC (Domain Name System Security Extensions) की सुरक्षा परतो के साथ हस्ताक्षरित किया जाता है, और ऑपरेटरों को उनके रूट सर्वर मे इन्है प्रकाशित या शामिल करने के लिए असाइन कर दिया जाता है और फिर रूट ज़ोन फ़ाइलों में सभी TLDs का रिकॉर्ड रंखा जाता है।

3. TLD nameservers

एक TLD (शीर्ष-स्तरीय डोमेन) नेमसर्वर एक सामान्य डोमेन एक्सटेंशन के साथ आने वाले सभी डोमेन नामों के जानकारी कलेक्ट और संग्रहीत करता है। उसे और अधिक आसानी से बयान करे तो, एक .com धारक TLD नेमसर्वर उन सभी वेबसाइटों के लिए जानकारी संग्रहीत करता है जो .com एक्सटेंशन के साथ समाप्त होती हैं। ठिक उसी तरह ,net एक्सटेंशन के साथ समाप्त होने बाली डोमेन से जुड़े सभी जानकारी अलग से संग्रहीत करता है।

जब कोई उपयोगकर्ता अपने ब्राउज़र में डोमेन नाम दर्ज करता है, तो DNS रिज़ॉल्वर डोमेन के एक्सटेंशन के लिए TLD सर्वर से संचार करके खोज शुरू करते हैं। TLD नेमसर्वर तब रिज़ॉल्वर को उस निर्दिष्ट डोमेन नेम के मूल सर्वर और उस वेबसाइट का IP पता प्रदान करता है जिसे क्लाइन्ट इन्टरनेट पर ढुढ़ रहा है।

TLD नाम सर्वर डोमेन के उद्देश्य को वर्गीकृत और संप्रेषित करते हैं और फिर से यहाँ आप उदाहरण ले सकते हैं, .com एक्सटेंशन जिसका उपयोग वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है, .gov का उपीयोग खासतौरपर सरकारी कार्य के लिए और .edu शैक्षिक संस्थानो को रिप्रेजेन्ट करता है।

4. Authoritative nameservers

आधिकारिक DNS नेमसर्वर टेलिफ़ोन नम्बरो को कास्टोमार के नाम समेत सहेज कर रखने बाली डायरी की तरह होती है। आधिकारिक DNS नेमसर्वर भी कुछ उसी प्रकार से कार्य करता है जहा डोमेन नामों को उसकी IP पतों के साथ सहेज के रंखा जाता है। अब जब कोई क्लाइन्ट या कम्पोटर किसी विशिष्ट वेबसाइट की IP पतों की मांग करता है तो Authoritative nameserver इस मांग को पुरा करने के लिए जिम्मेदार होता है।

FAQs

DNS लुकअप क्या है?

DNS लुकअप एक अनुवादित प्रक्रिया है जिसके माध्यम से मानव द्बारा पढ़े और याद रंखे जाने बाले डोमेन नाम जैसे (www.Example.com) को कंप्यूटर या मशिन द्बारा समझे जाने बाले IP पते यानि (214.168.248.66) में अनुवादित करता है। यह उपयोगकर्ता अपने वेब ब्राउज़र द्बारा किए गए क्वेरी या दर्ज कि गई URL को नेमसर्वर से ढुढ़ निकालने का काम करता हैं।

DNS रिकॉर्ड क्या है?

डीएनएस रिकॉर्ड डिजिटल रूप से बनाए गए डेयरी की तरह होते हैं जिनमें यूआरएल को प्रबंधित रूप से एक आधिकारिक डीएनएस सर्वर में संग्रहीत किया जाता है। वे आईपी पते से जुड़े डोमेन के बारे में जानकारी बनाए रखते हैं जो उस विशेष डोमेन के लिए उपयोगकर्ता के अनुरोधों को संभालता है। ये रिकॉर्ड टेक्स्ट फ़ाइलों की एक श्रृंखला बनाए रखते हैं जिन्हें DNS सिंटैक्स के रूप में जाना जाता है जिसमे A और AAAA रिकॉर्ड, CNAME, DNAME, CAA रिकॉर्ड, CERT रिकॉर्ड, MX रिकॉर्ड, SOA रिकॉर्ड, NS रिकॉर्ड, ALIAS रिकॉर्ड, TXT रिकॉर्ड और अन्य शामिल हैं।